प्राकृतिक खेती

प्राकृतिक कृषि एवं पशुपालन प्रशिक्षण शिविर
प्राकृतिक कृषि
हमारे खान पान का हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर सीधा असर पडता है। सन् 1966 से 1967 में देश में हरित क्रांति का दौर शुरु हुआ। शुरुआत के 25-30 वर्षाें तक तो कृषि उत्पादन में बढ़़ोत्तरी हुई, लेकिन अब पिछले 15-20 वर्षों से उत्पादन में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है।

रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों के लगातार उपयोग से ज़मीन बंजर हो रही है। किसानों की खेती की लागत बढ़ती जा रही है। इस विषम परिस्थिति से छुटकारा पाने का एकमात्र उपाय है - Good Agriculture Practices और प्राकृतिक खेती।

भूमि सुधार एवं आत्मनिर्भर कृषि के लिए प्राकृतिक खेती एक वरदान है। इस विषय के अधिकाधिक प्रचार-प्रसार के लिए सूर्या फाउण्डेशन विगत अनेक वर्षों से कार्यरत है। इसे और अधिक विस्तार देने के लिए सूर्या फाउण्डेशन और विभिन्न सरकारी संस्थानों के साथ मिलकर प्राकृतिक कृषि के लिए जनजागरण का कार्य कर रहे हैं।

प्राकृतिक कृषि प्रशिक्षण
प्राकृतिक कृषि द्वारा भूमि की उर्वरा शक्ति में वृद्धि होती है। ऐसे अनेक छोटे प्रयोगों द्वारा हम अपनी भूमि के उपजाऊ क्षमता में बढ़ोत्तरी कर सकते हैं। देशभर में इस तरह के अनेक प्रयोग किये जा रहे हैं। इस अभियान के अधिकाधिक प्रचार-प्रसार के लिए हरियाणा राज्य के सोनीपत जिले के झिंझौली ग्राम को ग्राम विकास केन्द्र बनाकर, उसके आसपास के 20 गाँवों में प्राकृतिक खेती का कार्य भी शुरू किया गया है। जिससे किसाने सस्ती, लाभप्रद व विषमुक्त खेती की ओर बढ़ रहे हैं।

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, जिला सोनीपत एवं सूर्या फाउण्डेशन द्वारा जिला सोनीपत में प्राकृतिक कृषि का रकबा बढ़ाने एवं विषमुक्त अन्न की ओर बढ़ने के लिए संयुक्त रूप से प्राकृतिक कृषि में रुचि रखने वाले किसानों को चिन्हित कर इस पायलट प्रोजेक्ट को तीन वर्ष के लिये शुरु किया गया है। इनका प्राकृतिक कृषि का एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर मई 2024 सूर्या साधना स्थली, झिंझोली (सोनीपत), हरियाणा में आयोजित किया गया।

इस कार्यक्रम में गुरुकुल कुरुक्षेत्र (हरियाणा) से विशेषज्ञों द्वारा प्राकृतिक खेती के अनेक प्रयोग जैसे जीवामृत, घनजीवामृत आदि के बनाने की विधि के बारे में बताया गया। जैविक प्रमाणीकरण (Organic Certification) के बारे में भी किसानों का मार्गदर्शन किया गया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में सोनीपत जिले के राई, खरखौदा, गन्नौर और सोनीपत ब्लॉक के 100 किसानों ने भाग लिया। प्राकृतिक कृषि प्रशिक्षण केन्द्र, गुरुकुल, कुरुक्षेत्र (हरियाणा) में विशेषज्ञों द्वारा 25-25 किसानों के बैच में 100 किसानों को प्राकृतिक कृषि प्रशिक्षण दिया गया। भविष्य में इन किसानों को अन्य राज्यों में प्राकृतिक खेती में किसान क्या-क्या प्रयोग कर रहे है, यह दिखाने के लिये अन्य राज्यों का भ्रमण का भी कार्यक्रम निश्चित किया गया है।