"शिक्षा समाज की नींव है"
आचार्य चाणक्य
समाज का प्रत्येक व्यक्ति शिक्षित होगा तभी देश की नींव मजबूत होगी।स्वामी विवेकानंद ने कहा है शिक्षा का अर्थ जानकारियों के ढेर को दिमाग में ठूसना नहीं है जीवन निर्माण, मनुष्य निर्माण और चरित्र निर्माण में सहायक केवल पांच विचार आत्मसात करना बड़ी लाइब्रेरी पढ़ने से ज्यादा अच्छा है अतः सभी सच्चे अर्थों में शिक्षित हों, इसी उद्देश्य के साथ सूर्या फाउंडेशन शिक्षा के अनेक आयामों पर काम कर रहा है।
समाज का प्रत्येक व्यक्ति शिक्षित होगा तभी देश की नींव मजबूत होगी।स्वामी विवेकानंद ने कहा है शिक्षा का अर्थ जानकारियों के ढेर को दिमाग में ठूसना नहीं है जीवन निर्माण, मनुष्य निर्माण और चरित्र निर्माण में सहायक केवल पांच विचार आत्मसात करना बड़ी लाइब्रेरी पढ़ने से ज्यादा अच्छा है अतः सभी सच्चे अर्थों में शिक्षित हों, इसी उद्देश्य के साथ सूर्या फाउंडेशन शिक्षा के अनेक आयामों पर काम कर रहा है।
सूर्या संस्कार केंद्र - 'आज के बच्चे ही कल का भारत हैं' आज लगाये गये नंन्हे पौधे को कैसे सींचा गया है इसी पर निर्भर करता है कि कल वह कैसा पेड़ बनेगा और उसकी छाया कितनी गाढ़ी होगी तथा वह समाज के लिए कितना उपयोगी होगा।
सूर्या फाउंडेशन द्वारा देश के 18 राज्यो के 234 स्थानों पर सूर्या संस्कार केंद्र संचालित किए जा रहें हैं। इन संस्कार केंद्रों में कक्षा 1 से कक्षा 6 तक के बच्चे पढ़ने के लिए आते हैं।
यहाँ बच्चो को शिक्षित करने के साथ ही संस्कारवान बनाने और शारिरिक रूप से सुदृढ बनाने के क्रियाकलाप होते हैं।
प्रतिदिन 2 घंटे तक इन संस्कार केंद्रों पर विभिन्न गतिविधियाँ चलती हैं, जैसे पाठ्यक्रम की पढ़ाई, देशभक्ति गीत, भजन, महापुरुषों की कहानी, अच्छी सीख देने वाले खेल आदि। संस्कार केंद्रों पर बच्चो को खेल खेल में ही गणित की गुत्थियां सिखाई सुलझाना सिखाया जाता हैं, कहानियों के माध्यम से ही इतिहास पढ़ाया जाता है।
प्रौढ़ शिक्षा केन्द्र - आज 21वीं सदी के माता-पिता सबसे ज्यादा संवेदनशील रहते हैं अपने बच्चों की शिक्षा को लेकर। अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए सजग इन माता-पिता में आज भी कुछ ऐसे महिला और पुरुष मिल जाते हैं जो अपना नाम तक लिखना नही जानते। डिजिटल युग मे ग्रामीण अंचल की इस विडंबना को दूर करने के लिए संस्था द्वारा बाल संस्कार केंद्र की तर्ज पर ही 10 स्थानों पर प्रौढ़ शिक्षा केंद्र भी संचालित किये जा रहें हैं । इन प्रौढ़ शिक्षा केंद्रों का ऐसा प्रभाव रहा है कि बहुत सी अशिक्षित महिलाएं/पुरुष अब अंगूठा लगाना छोड़कर हस्ताक्षर करने लगें है। पत्र पढ़ने के लिए अब उन्हें किसी और कि आवश्यकता नही है, हिसाब किताब भी अब वें स्वयं करने लगी हैं। गृहणियां बैंकों के काम अब स्वयं कर लेती हैं।
स्कूल भारती ऑर्गनाइजेशन - शिक्षा और शिक्षण की गुणवत्ता में सुधार के लिए सूर्या फॉउन्डेशन ने स्कूल भारती ऑर्गनाइजेशन की स्थापना की है। देशभर के लगभग 650 विद्यालयों को इस ऑर्गनाइजेशन के साथ जोड़ा गया है।
ऑर्गनाइजेशन द्वारा विद्यालयों में शिक्षकों और प्रधानचार्यो को प्रशिक्षण देने तथा वर्तमान समय के अनुसार शिक्षा में हुए परिवर्तन आदि विषयों पर मार्गदर्शन दिया जाता है।
उनके लिए शिविर लगाकर विशेषज्ञों द्वारा शिक्षा को गुणवत्तापूर्ण बनाने के विषयों पर विचार मंथन किया जाता है।सूर्या फॉउन्डेशन द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के बारे में जागरूकता और इसे प्रत्येक विद्यालय तक पहुंचाने के उद्देश्य से प्रत्येक माह एक सेमिनार आयोजित किया जाता है जिसमे देश के अनेकों शिक्षाविद भाग लेते हैं।
स्कूल भारती ऑर्गनाइजेशन का ध्येय है कि छात्र केवल किताबी शिक्षा ही ग्रहण ना करे अपितु एक उत्तम व्यक्तित्व का स्वामी भी बने। इसी लिए ऑर्गनाइजेशन द्वारा विद्यालयों में छात्र व्यक्तित्व विकास शिविर भी लगाये जाते हैं।
सूर्य भारती पुस्तकें - शिक्षा को कम खर्चीला, सुलभ और बनाने तथा बस्ते का बोझ कम करने के उद्देश्य से देश के प्रमुख शिक्षण संस्थानों NCERT, DIET, NIOS, KVS, NVS, विद्या भारती आदि के शिक्षाविदों द्वारा वर्षों तक हुए अनुसन्धान के बाद इन पुस्तकों का निर्माण हुआ है। ये पुस्तकें कक्षा 1 से कक्षा 5 तक के विद्यार्थियों के लिए बनाई गई हैं। सूर्य भारती पुस्तकों की रचना एक कक्षा-एक किताब (सभी विषय समेकित) की रीति पर हुई है।
एक ही पुस्तक में कक्षा के संपूर्ण पाठ्यक्रम को राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के निर्देशानुसार समाहित किया गया है।
इससे ना केवल बस्ते का बोझ कम होता है बल्कि शिक्षा में आने वाला खर्च भी कम हो जाता है। साथ ही विद्यार्थियों को रचनात्मक तरीके से चर्चा, विश्लेषण, उदाहरण और अनुप्रयोगों द्वारा सिखाने का उत्तम साधन यह पुस्तकें हैं।
देश की विभिन्न शिक्षा संस्थाओं और कई शिक्षा योजना के तहत चलने वाली पाठशालाओं में इन पुस्तकों का प्रयोग हो रहा है।
जनजातीय छात्रों के लिए विद्यालय - सन 2010 से सूर्या फॉउन्डेशन गुजरात के अरवल्ली जिले में विश्वविख्यात श्यामलाजी मंदिर के पास खेरंचा में सूर्या एकलव्य सैनिक स्कूल का संचालन कर रही है। गुजरात स्टेट ट्राइबल एजुकेशन सोसाइटी के साथ मिलकर PPP Model पर चलने वाला यह एक आवासीय विद्यालय है जिसमे जनजाति समुदाय से आने वाले बच्चे पढ़ते है।
कक्षा 10 और कक्षा 12 में लगभग 100% परिणाम और जिला, राज्य तथा राष्ट्रीय स्तर पर सैंकड़ो पुरूस्कार इस विद्यालय के छात्रों ने अर्जित किये हैं। इस विद्यालय में 450 विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करते हैं।
इसी से प्रभावित होकर मध्यप्रदेश सरकार ने भी PPP मॉडल पर शासकीय कन्या शिक्षा परिसर सीहोर के संचालन की जिम्मेदारी सूर्या फॉउन्डेशन को दी है। यह एक पायलेट प्रोजेक्ट है।
इस विद्यालय में लगभग 475 जनजाति समुदाय की छात्रायें अध्यनरत हैं। एक वर्ष के भीतर ही छात्राओं ने पढाई के साथ-साथ खेलों में भी कई सफलताएं हासिल की हैं।
“हमे ऐसी शिक्षा चाहिए, जिससे चरित्र बने, मानसिक विकास हो, बुद्धि का विकास हो और मनुष्य अपने पैरों पर खड़ा हो सके”
-स्वामी विवेकानंद
Send your Suggestions